प्रिय विधार्थियों,
शिवालिक परिवार में आपका अभिनन्दन हैं।
आप इस परिवार के सदस्य हैं और हमारी अपेक्षा है कि यहा की शैक्षिक व अनुशासनात्मक परम्पराओ को आप शीघ्र ही आत्मसात कर लेंगे। शिक्षा एक व्यवहारगत परिवर्तन हैं जो आपकी सोच व क्रिया को अपेक्षित आकर व प्रकार देती हैं। इसी शिक्षा को आनन्ददायी व गुन्वातापूर्ण बनाने के लिए हम कृत संकल्पित हैं। हम प्रयत्नशील हैं कि विभिन्न पाठ्य सामग्रियों, क्रियाओ द्वारा अधिगम को अनान्दायी ग्रायह बना सके |
एक विधार्थी भी समाज का ही एक अंग होता हैं और वह समाज से अनवरत सिखता रहता है. इस अधिगम की दिशा निर्धारण करने का दायित्व विधालय का ही होता है |
जीवन के शीर्षस्थ उदेश्यों की पूर्ति हेतु पाठ्य प्रयत्न ही पर्याप्त नहीं होतें अपितु आत्मविश्लेषण, आत्मानुशासन व अनवरत स्वाध्याय साधना जैसे अभ्यान्तरित प्रयत्न भी अपरिहार्य होतें है | आत्मानुशासन विधार्थी जीवन का सर्वश्रेष्ठ मूल्य होता है | अतः इस मूल्य को आप अनवरत धारण करें और अपने अध्ययन के समर्पित रहे |
आपके सुखद उज्वल भविष्य हेतु हार्दिक शुभकामनाये |
संरक्षक
श्री लेखराम यादव
M.A (Hindi,English Lit. / Pol. Sci.), B.E.D